रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
तू मुझसे खफा है तो ज़माने के लिए आ
किस किस को बताएंगे तेरे ना आने का सबब हम
कुछ और नहीं रस्मे दुनिया ही निभाने के लिए आ
कैसे कैसे आते हैं तुमको न आने के बहाने
कभी कभी मिलने के बहाने से तो आ
इक तुमसे मिले हुए बीते कई बरसों
कुछ अपनी खैर खबर सुनाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
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