Sunday, December 24, 2023

सत्य है पर स्वीकार नहीं है

 मिलने को कोई भी तैयार नहीं है

ना मानो तो कोई दीवार नहीं है

अपनो पर अब कोई अधिकार नही है


सत्य है पर स्वीकार नहीं है


भूल से रहे है वो रिश्ते मिलतीजुलती बातें

छतों पर गुजरती थी खेलकूद की रातें

उनसे अब कोई भी सरोकार नहीं है


सत्य है पर स्वीकार नहीं है


उन हसीन रिश्तों को तोड़े हुए

अहम और वहम की चादर ओढ़े हुए

फैंकने को कोई तैयार नहीं है


सत्य है पर स्वीकार नहीं है


ना कोई फोन था ना कोई बुलाता था

मनमौजी थे मन किया मिल लिया जाता था

बुलाने पर भी मिलने को कोई तैयार नहीं है


सत्य है पर स्वीकार नहीं है

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