My Impromptu collection




दो चार लोग तुमसे मोहब्बत क्या करने लगे
तुमतो खुद को खुदा समझ बैठे ,
मैं  तो झुका भी था सजदे में
वो बैठे रहे यूँ ही ऐन्ठे ऐंठे


दो चार लोग तुमसे मोहब्बत क्या करने लगे 
तुमतो खुद को खुदा समझ बैठे ,
सिर झुका भी था सजदे में 
पर वो कुछ और समझ बैठे

16-8-2019

हर क़िताब कहती इक कहानी है
कुछ उसकी ज़ुबानी है ,कुछ इसकी ज़ुबानी है

ख्वाइशों के समुंदर में सब ढूँढ़ते किनारे हैं
ना जाने कहाँ जाएँ हम बहते धारे हैं

18-8-2019

परवाह ना कर किसीकी लापरवाह हो जा
क्या हुआ अगर कोई वाह वाह ना करेगा

परवाह ना कर ज़माने की बेपरवाह हो जा
ज़माने का क्या है ,फिर भी शिकवा ही करेगा

2-9-2019

अमीर देखे ग़रीब को
 ,ग़रीब देखे अमीर को
दोनों हैं रिश्तों से परे
कोसते हैं तक़दीर को

3 -9 -2019
माना ज़िन्दगी एक सज़ा है
पर इसका भी अपना मज़ा है
क्यों ढूँढ़ते रहते हो खुशियां
दर्द भी तो एक दवा है

ज़िन्दगी ख्वाइशों का समँदर है जनाब
गोते लगाते रहिये कुछ तो लगेगा हाथ


4 -9 -2019

मुस्कराहटों में भी छुपी कुछ आहटें होती हैं
दिल के दरवाज़े पर खट खट सुनाई देती है


5 -9 -2019
हालचाल पूछने से गम कुछ कम हो जाता है
इसीलिए हर शक्स इक हमनवा चाहता है 


No comments:

Post a Comment

Whatsapp kamal hai