Friday, February 23, 2024

Impromptu

 कुछ कहने से वो क्यों झिझकते हैं

माना हम नज़रों की जुबां को समझते हैं

कुछ अजीब से चुप चाप ये रिशते हैं

ना तुम कुछ कहते हो ना हम कुछ कहते है

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