Kuch Geet Aur Gazlen Meri Kalam se
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Wednesday, September 18, 2019
Today's Impromptu
नमाज़ पढ़ के वो हलाल करते हैं
खुदाया देखो क्या कमाल करते हैं
मिट्टी से जुड़े हैं मिट्टी पे खड़े हैं
गुरुर तो बस क़िताबों में पढ़े हैं
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Whatsapp kamal hai
दूर और पास impromptu
जो पास है वो विश्वास है इक बुझी हुई प्यास है जो दूर है वो आभास है जिसे पाने की आस है
Whatsapp kamal hai
WhatsApp सच में बहुत कमाल है पर मुझे थोड़ा शिकवा थोड़ा मलाल है जो दूर थे मिलने क ोमजबूर हो गए थे उन्हें जोड़ करीब लाकर कमाल कर दिया जो पास...
चुप्पी
इन बंद होठों की चुप भरी हड़ताली न दे ए दोस्त ताली ना सही ..एक गाली ही दे टकराने से ही आवाज होती है कभी सोज़ तो कभी साज़ होती है
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