आदमी आदमी का शिकार हो रहा है
हर शख्स एक शख्स का गुनहगार हो रहा है,
हर तरफ लगी है दौड़ ,धन,दौलत और शोहरत पाने की है होड़ ,
ऊंचाई छुनेकी आरज़ू लिए अपनी मिट्टी से बिछड़ रहा है।
आदमी आदमी का...................................................
तोड़ रहा है मजहब के नाम पर मंदिर मस्जिद और गुरद्वारे ,
अब तो खुदा का रहना भी दुष्वार हो रहा है।
आदमी आदमी का..........................................................
देख रहा है इन्सान का तमाशा वो ऊपर बैठा खतावार सा,
इन्सां को ज़मीन पर ला कर खुदा भी शर्मसार सा हो रहा है।
आदमी आदमी का........................................................
हर शख्स एक शख्स का गुनहगार हो रहा है,
हर तरफ लगी है दौड़ ,धन,दौलत और शोहरत पाने की है होड़ ,
ऊंचाई छुनेकी आरज़ू लिए अपनी मिट्टी से बिछड़ रहा है।
आदमी आदमी का...................................................
तोड़ रहा है मजहब के नाम पर मंदिर मस्जिद और गुरद्वारे ,
अब तो खुदा का रहना भी दुष्वार हो रहा है।
आदमी आदमी का..........................................................
देख रहा है इन्सान का तमाशा वो ऊपर बैठा खतावार सा,
इन्सां को ज़मीन पर ला कर खुदा भी शर्मसार सा हो रहा है।
आदमी आदमी का........................................................
bharat ka rehne wala hoon, bharat ki baat sunata hoon.
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