Kuch Geet Aur Gazlen Meri Kalam se
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Friday, August 23, 2024
चुप्पी
इन बंद होठों की चुप भरी हड़ताली न दे
ए दोस्त ताली ना सही ..एक गाली ही दे
टकराने से ही आवाज होती है
कभी सोज़ तो कभी साज़ होती है
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Whatsapp kamal hai
दूर और पास impromptu
जो पास है वो विश्वास है इक बुझी हुई प्यास है जो दूर है वो आभास है जिसे पाने की आस है
Whatsapp kamal hai
WhatsApp सच में बहुत कमाल है पर मुझे थोड़ा शिकवा थोड़ा मलाल है जो दूर थे मिलने क ोमजबूर हो गए थे उन्हें जोड़ करीब लाकर कमाल कर दिया जो पास...
चुप्पी
इन बंद होठों की चुप भरी हड़ताली न दे ए दोस्त ताली ना सही ..एक गाली ही दे टकराने से ही आवाज होती है कभी सोज़ तो कभी साज़ होती है
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