है फुर्सत किसे कि उनकी तरफ़ भी ताके
एक दौर था लिपटे रहते उनसे रात भर जागे
अब ये दौर कि नज़रें फिराए उनसे दूर भागें
मिल गयी है नई मोहब्बत जिसे गोद बिठाए रहते
कुछ और नहीं दोस्तों लेपटॉप उसे कहते 😀
एक और भी है महबूबा जिसे देख स्माइल हैं करते
कुछ और नहीं दोस्तों मोबाइल उसे कहते 😀
उसकी कमर में उँगलियाँ फिराते फिराते
कुछ इस तरह भटकते हैं जाते
और वो किताबें बस यूँ ही 😔
हसरत भरी निग़ाहों से हमें झांके
Bhai bahut khoob lage rahite
ReplyDeleteVaah vaah
ReplyDeleteबहुत खूब...दोस्त..
ReplyDeleteबहुत khoob
Keep writing ..keep posting