कहीं जमीं तो कहीं आसमान नहीं मिलता ।
लगी है होड़ एक दुसरे को हराने की ।
ये ऐसी दौड़ है जिसका सिरा नहीं मिलता
कभी किसी को मुक़मल...............
कहीं जमीं तो कहीं......................
ऐसे मेरी तुझसे कोई खास जान पहचान तो नहीं ,
कौन, कब दिल को क्यूँ भा जाये इसका पता नहीं चलता .
कभी किसी को मुकमल ...................
कहीं जमीं तो कहीं ..........................
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