यूं ही बैठे -बैठे आ गई हमको तुम्हारी याद,
यूं ही हंसते-हँसते रुला गई हमको तुम्हारी बात।
तेरी यादों ने तेरी बातों ने ऐसे छुए वो जज्बात,
जो छुपा के हमने रखे थे इस दिल में अपने साथ।
यूँ ही बैठे.................................................
उन गलियों में,उन कुचों में,बगीचों की ठंडी छाओं में,
गुजरे थे पल जहाँ शामों सहर ,जहाँ होती न थी कभी रात।
यूं ही बैठे-बैठे...................................................... तेरी याद।
ना थी तेरी खता,ना कुछ मेरी खता,शायद बस में नहीं थे वो हालात,
क्यूँ बनते- बनते बिगर गई यूं तेरी मेरी वो बात।
यूं ही बैठे-बैठे..........................................................तेरी याद.
यूं ही हंसते-हँसते रुला गई हमको तुम्हारी बात।
तेरी यादों ने तेरी बातों ने ऐसे छुए वो जज्बात,
जो छुपा के हमने रखे थे इस दिल में अपने साथ।
यूँ ही बैठे.................................................
उन गलियों में,उन कुचों में,बगीचों की ठंडी छाओं में,
गुजरे थे पल जहाँ शामों सहर ,जहाँ होती न थी कभी रात।
यूं ही बैठे-बैठे...................................................... तेरी याद।
ना थी तेरी खता,ना कुछ मेरी खता,शायद बस में नहीं थे वो हालात,
क्यूँ बनते- बनते बिगर गई यूं तेरी मेरी वो बात।
यूं ही बैठे-बैठे..........................................................तेरी याद.
kisse dhoondhte rahte ho?
ReplyDeletekaun?? meri knowledge mein hai kya?
ReplyDeleteWoww... Amazing bhaiya :)
ReplyDelete