Sunday, February 23, 2025

Whatsapp kamal hai

WhatsApp सच में बहुत कमाल है
पर मुझे थोड़ा शिकवा थोड़ा मलाल है

जो दूर थे मिलने क ोमजबूर हो गए थे 
उन्हें जोड़ करीब लाकर कमाल कर दिया 
जो पास थे मिलते हर बार थे 
उन्हे क्यों दूर कर दिया 

Whatsap सच में बहुत कमाल है 
बस थोड़ा शिकवा थोड़ा मलाल है 

Love u ,missu ,take care के messages की भरमार है 
बस मां बाप के साथ रहने से इनकार है

 Whatsapp सच में बहुत कमाल है 
बस थोड़ा शिकवा थोड़ा मलाल है 

बहू बेटियां busy हैं reel,tiktok बनाने में 
किसी की रूचि नहीं रही खाना बनाने में 
Zomato ,Swiggy की लगी कतार है 

Whatsapp सच में बहुत कमाल है 
बस थोड़ा शिकवा थोड़ा मलाल है 

खोए हुए पुराने दोस्त Whatsapp से जुड़ गए हैं
 School ,college के groups खुल गए है 
Whatsaap पे अक्सर Jokes, friendship quotes फॉरवर्ड करके दोस्ती निभाते हैं 
मिलनाहो तो ना मिलने के हमेशा बहाने बनाते हैं 

Whatsapp सच में बहुत कमाल है 
बसथोड़ा शिकवा थोड़ा मलाल है 

अब annivesaries और birthdays हम whatsapp पे ही मनाते हैं
 वो हस्त लिखित greeting cards अब नहीं आते हैं, 
Whatsapp सच में बहुत कमाल है 
बस थोड़ा शिकवा थोड़ा मलाल है 

WhatsApp ने  सब को intouch से भरपूर कर दिया
 मलाल येहै कि Human touch se दूर कर दिया 

Whatsapp सचमुच कमाल है.............

Wednesday, September 4, 2024

दूर और पास impromptu

जो पास है वो विश्वास है इक बुझी हुई प्यास है
 जो दूर है वो आभास है जिसे पाने की आस है

Friday, August 23, 2024

चुप्पी

इन बंद होठों की चुप भरी हड़ताली न दे
 ए दोस्त ताली ना सही ..एक गाली ही दे 
 टकराने से ही आवाज होती है
 कभी सोज़ तो कभी साज़ होती है

Friday, May 10, 2024

फूलों का कत्ल



पत्थर को मानने के लिए

फूलों का कत्ल कर आए

शाखों पे  तो मुस्करा रहे थे

टूट कर शायद कराह रहे थे

आस्था या रिवायत कोई तो समझाए

पत्थर भी नहीं हिला फूल भी मुरझाए

Friday, February 23, 2024

Impromptu

 कुछ कहने से वो क्यों झिझकते हैं

माना हम नज़रों की जुबां को समझते हैं

कुछ अजीब से चुप चाप ये रिशते हैं

ना तुम कुछ कहते हो ना हम कुछ कहते है

Thursday, February 22, 2024

रंजिश ही सही...a new twist

 रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ

तू मुझसे खफा है तो ज़माने के लिए आ


किस किस को बताएंगे तेरे ना आने का सबब हम

 कुछ और नहीं रस्मे दुनिया ही निभाने के लिए आ


कैसे कैसे आते हैं तुमको न आने के बहाने

कभी कभी मिलने के बहाने से तो आ


इक तुमसे मिले हुए बीते कई बरसों

कुछ अपनी खैर खबर सुनाने के लिए आ


आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ

Sunday, December 24, 2023

सत्य है पर स्वीकार नहीं है

 मिलने को कोई भी तैयार नहीं है

ना मानो तो कोई दीवार नहीं है

अपनो पर अब कोई अधिकार नही है


सत्य है पर स्वीकार नहीं है


भूल से रहे है वो रिश्ते मिलतीजुलती बातें

छतों पर गुजरती थी खेलकूद की रातें

उनसे अब कोई भी सरोकार नहीं है


सत्य है पर स्वीकार नहीं है


उन हसीन रिश्तों को तोड़े हुए

अहम और वहम की चादर ओढ़े हुए

फैंकने को कोई तैयार नहीं है


सत्य है पर स्वीकार नहीं है


ना कोई फोन था ना कोई बुलाता था

मनमौजी थे मन किया मिल लिया जाता था

बुलाने पर भी मिलने को कोई तैयार नहीं है


सत्य है पर स्वीकार नहीं है

Whatsapp kamal hai