Kuch Geet Aur Gazlen Meri Kalam se
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Sunday, February 23, 2025
Whatsapp kamal hai
Wednesday, September 4, 2024
दूर और पास impromptu
Friday, August 23, 2024
चुप्पी
Friday, May 10, 2024
फूलों का कत्ल
पत्थर को मानने के लिए
फूलों का कत्ल कर आए
शाखों पे तो मुस्करा रहे थे
टूट कर शायद कराह रहे थे
आस्था या रिवायत कोई तो समझाए
पत्थर भी नहीं हिला फूल भी मुरझाए
Friday, February 23, 2024
Impromptu
कुछ कहने से वो क्यों झिझकते हैं
माना हम नज़रों की जुबां को समझते हैं
कुछ अजीब से चुप चाप ये रिशते हैं
ना तुम कुछ कहते हो ना हम कुछ कहते है
Thursday, February 22, 2024
रंजिश ही सही...a new twist
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
तू मुझसे खफा है तो ज़माने के लिए आ
किस किस को बताएंगे तेरे ना आने का सबब हम
कुछ और नहीं रस्मे दुनिया ही निभाने के लिए आ
कैसे कैसे आते हैं तुमको न आने के बहाने
कभी कभी मिलने के बहाने से तो आ
इक तुमसे मिले हुए बीते कई बरसों
कुछ अपनी खैर खबर सुनाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
Sunday, December 24, 2023
सत्य है पर स्वीकार नहीं है
मिलने को कोई भी तैयार नहीं है
ना मानो तो कोई दीवार नहीं है
अपनो पर अब कोई अधिकार नही है
सत्य है पर स्वीकार नहीं है
भूल से रहे है वो रिश्ते मिलतीजुलती बातें
छतों पर गुजरती थी खेलकूद की रातें
उनसे अब कोई भी सरोकार नहीं है
सत्य है पर स्वीकार नहीं है
उन हसीन रिश्तों को तोड़े हुए
अहम और वहम की चादर ओढ़े हुए
फैंकने को कोई तैयार नहीं है
सत्य है पर स्वीकार नहीं है
ना कोई फोन था ना कोई बुलाता था
मनमौजी थे मन किया मिल लिया जाता था
बुलाने पर भी मिलने को कोई तैयार नहीं है
सत्य है पर स्वीकार नहीं है
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जो पास है वो विश्वास है इक बुझी हुई प्यास है जो दूर है वो आभास है जिसे पाने की आस है
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WhatsApp सच में बहुत कमाल है पर मुझे थोड़ा शिकवा थोड़ा मलाल है जो दूर थे मिलने क ोमजबूर हो गए थे उन्हें जोड़ करीब लाकर कमाल कर दिया जो पास...
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इन बंद होठों की चुप भरी हड़ताली न दे ए दोस्त ताली ना सही ..एक गाली ही दे टकराने से ही आवाज होती है कभी सोज़ तो कभी साज़ होती है